Shayari
वक़्त गुज़रे बहोत सी यादें बन गयी
वक़्त गुज़रे बहोत सी यादें बन गयी यादो कि याद मे किसी कि याद आ गयी… जिनको याद करते थे रात दिन,आज मुद्दतों बाद उनकी याद आ गयी।
वक़्त गुज़रे बहोत सी यादें बन गयी यादो कि याद मे किसी कि याद आ गयी… जिनको याद करते थे रात दिन,आज मुद्दतों बाद उनकी याद आ गयी।
जिन्होंने वादे किये हर वक़्त साथ देने के,मारे वक़्त वो उस वक़्त दिखाए नहीं दिए ।
खुद ही बाँट लिया खुद को इतना लोगो मे, कि खुद ही ना बच्चे खुदके लिए
एक मोहब्बत सबब-ए-मशरूफियत ख़तम हो गयी दोनों फुरसत की तलाश में थे और श्याम ढल गयी सबब-ए-मशरूफियत – Reason of Busyness/Due to Lack of time