Shayari
भीख मांगी मैने खुदा से
भीख मांगी मैने खुदा से जिसके खातिर उसी ने आख़िर भिकारी समझ के छोड़ दिया
भीख मांगी मैने खुदा से जिसके खातिर उसी ने आख़िर भिकारी समझ के छोड़ दिया
की ज़िंदगी ख़तम नहीं हो जाती किसी के चले जाने से महज ज़िंदा रेह जाता है इंसान उसकी ज़िंदगी के बिछड़ जाने से
कि खो गया हूं मैं भी इस भीड़ में कोई मुझे भी पुकार लोमैं इतना भी तो बुरा नहीं कोई मुझे भी प्यार से दुलार लो
कि कौन कमबख्त कहता है कि बड़ी सुकून की नींद आ जाती है रात मेंकाली से काली रात भी नाकाम हो जाती है खाली पेट सोने की कोशिश में
वफ़ा का वादा तो करता है हर कोईफिर भी ज़माने मे बेवफाई हुआ करती है..साथ देना का वादा तो करता है हर कोईफिर भी ज़माने मे तन्हाई हुआ करती है…
छलावा ज़माने का अब मज़ाक लगता है,अपनों ने ही जब लूटा हमें तो बड़े से बड़ा लूटेरा भी अब बेचारा लगता है…