Shayari
के इन शायरियों में
के इन शायरियों में भी मेरी मैं थोड़ी मिलावट कर लेता हूंघोल कर थोड़े जज़्बात इनमे तेरी खुशबू छिड़क देता हूं
के इन शायरियों में भी मेरी मैं थोड़ी मिलावट कर लेता हूंघोल कर थोड़े जज़्बात इनमे तेरी खुशबू छिड़क देता हूं
की ज़िंदा क्या हैं ? ज़िंदगी क्या है?…तेरे साथ हो तो ज़िंदगी वरना तो महज़ ज़िंदा हैं।
सरफिरा सा जूनून रहे ताउम्र वो एहसास का वो किसीके साथ का…आँधियों मे भी जब छुट्टे ना हाथ यार कायही तो होता है रवाइयां प्यार का…
अक्सर अल्फाज़ो मे भी हुनर नहीं होता आरज़ू बयान करने का…महज़ निगाहों का नूर ही अनकहे सारे जज़्बात कह देता है ।
पुरुष स्त्री से कई अपेक्षाएं रखता है,किन्तु स्त्री केवल उससे सम्मान मांगती है।
ना जाने क्यों मगर वो बात अधूरी ही रह जाती है,जज़्बातों के आगोश मे नींद अधूरी ही रह जाती है।