Shayari
अक्सर अल्फाज़ो मे
अक्सर अल्फाज़ो मे भी हुनर नहीं होता आरज़ू बयान करने का…महज़ निगाहों का नूर ही अनकहे सारे जज़्बात कह देता है ।
अक्सर अल्फाज़ो मे भी हुनर नहीं होता आरज़ू बयान करने का…महज़ निगाहों का नूर ही अनकहे सारे जज़्बात कह देता है ।
ना जाने क्यों मगर वो बात अधूरी ही रह जाती है,जज़्बातों के आगोश मे नींद अधूरी ही रह जाती है।