Shayari
भीख मांगी मैने खुदा से
भीख मांगी मैने खुदा से जिसके खातिर उसी ने आख़िर भिकारी समझ के छोड़ दिया
भीख मांगी मैने खुदा से जिसके खातिर उसी ने आख़िर भिकारी समझ के छोड़ दिया
की ज़िंदगी ख़तम नहीं हो जाती किसी के चले जाने से महज ज़िंदा रेह जाता है इंसान उसकी ज़िंदगी के बिछड़ जाने से
न जाने क्यों मगर इंसान कुछ यूं करता हैमौत की तरफ दौड़ता है और जिंदगी से प्यार करता है
के इन शायरियों में भी मेरी मैं थोड़ी मिलावट कर लेता हूंघोल कर थोड़े जज़्बात इनमे तेरी खुशबू छिड़क देता हूं
कि खो गया हूं मैं भी इस भीड़ में कोई मुझे भी पुकार लोमैं इतना भी तो बुरा नहीं कोई मुझे भी प्यार से दुलार लो
की ज़िंदा क्या हैं ? ज़िंदगी क्या है?…तेरे साथ हो तो ज़िंदगी वरना तो महज़ ज़िंदा हैं।
मेरे तसव्वुर की तस्वीर में तुम हो… मेरे ख्वाब की कशिश में तुम हो, जाने अनजाने मगर जो भी हो… मेरी जिंदगी की खूबसूरती तुम हो।
कि कौन कमबख्त कहता है कि बड़ी सुकून की नींद आ जाती है रात मेंकाली से काली रात भी नाकाम हो जाती है खाली पेट सोने की कोशिश में